चाहतों का सिलसिला युही चलता रहा
सिर्फ तू बदलता रहा
मिन्नतों के बाद भी यह सावन की बुँदे हमपे ना गिरी
पर तू हमपे बरसता गया
पर तू हमपे बरसता गया
शिकायत ऐसी भी क्या थी मुझसे तुम्हे
की गैरो की तरह नज़र चूरा लिए
क़तल कर दिया मोहब्बत का मेरे
और दिल को रुक्सत कर दिए
दो पल का झूठा इश्क़ ही कर लेते
मेरे बेबुनियाद सपनो की तरह
ऐसे तुम अकेला ना छोड़ते हमें
हमारी धड़कन के बिना।
पीहू
दिल की बात
सिर्फ तू बदलता रहा
सिर्फ तू बदलता रहा
पर तू हमपे बरसता गया
पर तू हमपे बरसता गया
शिकायत ऐसी भी क्या थी मुझसे तुम्हे
की गैरो की तरह नज़र चूरा लिए
क़तल कर दिया मोहब्बत का मेरे
और दिल को रुक्सत कर दिए
दो पल का झूठा इश्क़ ही कर लेते
मेरे बेबुनियाद सपनो की तरह
ऐसे तुम अकेला ना छोड़ते हमें
हमारी धड़कन के बिना।
पीहू
दिल की बात
Comments
Post a Comment