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गहराई


माँ मैं तेरी वो बेटी हू 
जो दुःखते हाथो से अपनी सास के पैर दबाती है
दुःखते कमर को नीचे ज़मीन पे सुलाती है 
सोफे के एक दबे कोने मै खुद सो के अपने भाई को बेड पे सुलाती है 
खुद भीगके अपने पिता को बूंदो से बचाती है 
तेरी फटकार सुनके भाभी को सही राह दिखती है 

माँ में तेरी वो बेटी हु 
जो अपने ससुराल को मायका बनाती है 
अपनी ननद को बहन 
और 
पति को सुख दुःख का साथी 
और उनके विचार को अपना प्यार बनाती है 

माँ मै तेरी वो बेटी हु 
जो अपने दुःख छुपाती है 
रातो मै जागके सबको सुलाती है 
खुदकी वजह से किसी का ना दिल दुखे  
बस दूसरो के सपनो को अपना बनाती है 

माँ मै तेरी वो बेटी हु 
जो तेरे लिए पूरी दुनियाँ से लड़ जाती है 

पर माँ वो बेटी का क्या 
जो तेरे घर आयी है 
जो तुझे अपनी माँ बनायीं है 
जो तेरी सारी प्रीत निभाई है 
जो सभी रीत से आयी है 

माँ वो भी तो अपनी माँ की बेटी है 
उसे भी वो हक़ है जो मुझे हक़ है 
उसकी भी चाह है जो मेरी चाह है 
तो माँ यह दो आँखे क्यूँ 
यह दो टुकड़े क्यूँ 

क्यूंकि वो पराई है 
या फिर किसी गैर के घर से आयी है 
माँ वो भी तो तेरी बेटी है 
जो अपना जहाँ छोड़के पास तेरे आयी हैं 


पीहू 
दिल की बात 
Kuch khaas nai bacha hai janne ko, Bas yeh samajh lo hame hamare apno ne aaj iss mukam pe khada kiya hai...

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