दुःखी हु पर नाराज नहीं
अब अपनों से नाराज़गी कैसी ?
माना की बोझ हु ज़िम्मेदारी नहीं
किसी के घर की कहानी नहीं
तो इसमें नाराज़गी कैसी ?
बस अब हक़ नहीं रहा अपनों पे
तो मेरे अपनों से नाराज़गी क्या।
यह सिर्फ चंद शब्द है मेरे ख्याल की
बाकी किसी से जुड़ी मेरी कहानी नहीं।
पीहू।
दिल की बात
Comments
Post a Comment