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समानता !!!

सोचने और समझने वाली बात है  ...

सब कहते है बहू कभी बेटी नहीं बन सकती
और
सास कभी माँ नहीं बन सकती।

क्या कभी किसी ने इसके पीछे की वजह जानी है
शायद नहीं
हम सिर्फ कमी निकाल सकते है
वजह नहीं खोज सकते।

जब एक माँ की बेटी पेट से होती है
तो
माँ उसका ख्याल रखती है
अपने दामाद से अपेक्षा रखती है
की वो उसे प्यार से रखे
उसे काम न कराये
उसे फल खिलाये
उसे घुमाए उसे आराम कराये।

जब एक बहू पेट से होती है
तो
सास उससे ज्यादा काम कराती है
अपने बेटे से यह अपेक्षा रखती है
की उसे सिर्फ काम कराये
उसे फल न खिलाये
उसे बहार न घुमाये।

अगर बेटा माँ के खिलाफ जाता है
तो वो बीवी का गुलाम केहलाता है।

अगर माँ की सुने तो
माँ के पल्लू से बँधा कुत्ता।


क्या हम हमारी सोच नहीं बदल सकते
यह माँ सास बहू बेटी सबको एक नहीं कर सकते
क्या एक नारी
नारी का फ़र्ज़ नहीं निभा सकती।

कर सकती है सबकुछ नारी
पर वो वह सब दोहराना चाहती है जो उनके साथ हुआ है
वो अपना भुतकाल आगे के भविष्यकाल मै लाना चाहती है
इसलिए नारी  नारी की सगी नहीं है।

एक बार खुदको उनकी जगह रखो और उनका दर्द महसूस करो
यक़ीनन आपके अंदर की नारी जाग उठेगी
फिर चाहे वो माँ हो बहू हो
बेटी हो या फिर सास
यह सारे रिश्ते अपने आप अच्छे और मीठे लगेंगे।


पीहू।
दिल की बात  ...




Kuch khaas nai bacha hai janne ko, Bas yeh samajh lo hame hamare apno ne aaj iss mukam pe khada kiya hai...

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