बदुआ होती है उन बेटी की नसीब, जिसके नसीब मैं मायके की रोटी लिखी होती है। अपना घर होते हुए भी बेघर होती है बेटी, जिनके नसीब मायके की रोटी होती है। सबकी आंखें पढ़ लेती है वो मजबूर बेटी, जिसके गोद मैं एक बेटी होती है, बड़ी बदनसीब होती है वो बेटी, जिनके नसीब मैं मायके की रोटी होती…